महाराजा अग्रसेन नवभारत निर्माण ट्रस्ट की स्थापना भारतीय समाज में सदियों से प्रचलित गुरुकुल परंपरा को पुनर्जीवित करने और उसे आगामी पीढ़ियों तक संप्रेषित करने के उद्देश्य से की गई है। भारतीय संस्कृति और शिक्षा प्रणाली की आधारशिला गुरुकुल प्रणाली रही है, जहां विद्यार्थी न केवल शास्त्रों का ज्ञान प्राप्त करते थे, बल्कि जीवन के विभिन्न पहलुओं, जैसे नैतिकता, अनुशासन, योग, और शारीरिक दक्षता का भी समावेशी प्रशिक्षण प्राप्त करते थे। आधुनिक शिक्षा प्रणाली में जहाँ तकनीकी ज्ञान का अधिक प्रचलन है, वहाँ गुरुकुल परंपरा का महत्त्व कुछ कम होता दिखाई दिया है। ऐसे में महाराजा अग्रसेन नवभारत निर्माण ट्रस्ट ने इस पुरातन शिक्षण पद्धति को पुनः जागरूक किया है और समाज में इसका प्रचार-प्रसार कर रहा है।
ट्रस्ट की स्थापना का उद्देश्य
महाराजा अग्रसेन नवभारत निर्माण ट्रस्ट की स्थापना का मुख्य उद्देश्य समाज में भारतीय गुरुकुल परंपरा के पुनरुत्थान और उसे आधुनिक संदर्भों में ढालकर आने वाली पीढ़ियों को न केवल शास्त्रों और वेदों का ज्ञान प्रदान करना है, बल्कि विज्ञान और तकनीकी ज्ञान से भी उन्हें सशक्त बनाना है। आज की शिक्षा प्रणाली में नैतिकता, मानवीय मूल्य और समाज के प्रति कर्तव्यभावना को अक्सर नजरअंदाज किया जाता है। ऐसे में ट्रस्ट के माध्यम से विद्यार्थियों को पौराणिक ज्ञान के साथ-साथ आधुनिक विज्ञान, तकनीकी और नवाचारों का समन्वय कर शिक्षित किया जाता है।
अध्यक्ष
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प्राचीन काल में गुरुकुल प्रणाली एक आदर्श शिक्षण व्यवस्था थी,
गुरुकुलों में शिक्षा के पौराणिक और आधुनिक दोनों रूपों का समन्वय किया है
समाज सेवा और राष्ट्र निर्माण में योगदान
ट्रस्ट द्वारा संचालित गौशाला में सैकड़ों गायों की सेवा की जाती है।
महाराजा अग्रसेन नवभारत निर्माण ट्रस्ट का उद्देश्य केवल समाज में शिक्षा और गुरुकुल परंपरा का प्रचार-प्रसार करना है, बल्कि गौसेवा एवं आवर्धन (गायों का संवर्धन और विकास) को भी प्राथमिकता देना है
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