प्राचीन काल में गुरुकुल प्रणाली एक आदर्श शिक्षण व्यवस्था थी, जिसमें विद्यार्थियों को न केवल शास्त्रों का ज्ञान दिया जाता था, बल्कि उन्हें जीवन जीने की कला भी सिखाई जाती थी। यह शिक्षा प्रणाली विद्यार्थियों के चरित्र निर्माण, समाज सेवा और आध्यात्मिक उन्नति पर विशेष बल देती थी। महाराजा अग्रसेन नवभारत निर्माण ट्रस्ट इस प्रणाली को आधुनिक समय में पुनर्जीवित कर रहा है, जहाँ बच्चों को पौराणिक और आधुनिक दोनों प्रकार की शिक्षा दी जाती है।
गुरुकुल प्रणाली में शिक्षक और विद्यार्थी का संबंध बहुत ही विशेष और पवित्र माना जाता है। गुरु को माता-पिता के समान आदर और सम्मान दिया जाता है, और विद्यार्थी उनके निर्देशन में रहकर ज्ञान अर्जित करते हैं। आज की शिक्षा प्रणाली में जहाँ शिक्षक और विद्यार्थी का संबंध महज औपचारिक रह गया है, वहीं गुरुकुल प्रणाली में यह संबंध व्यक्तिगत और सजीव होता है। ट्रस्ट इस परंपरा को पुनः स्थापित करने का प्रयास कर रहा है, ताकि विद्यार्थियों को न केवल ज्ञान, बल्कि जीवन के विभिन्न आयामों में मार्गदर्शन प्राप्त हो सके।
प्राचीन काल में गुरुकुल प्रणाली एक आदर्श शिक्षण व्यवस्था थी,
गुरुकुलों में शिक्षा के पौराणिक और आधुनिक दोनों रूपों का समन्वय किया है
समाज सेवा और राष्ट्र निर्माण में योगदान
ट्रस्ट द्वारा संचालित गौशाला में सैकड़ों गायों की सेवा की जाती है।
महाराजा अग्रसेन नवभारत निर्माण ट्रस्ट का उद्देश्य केवल समाज में शिक्षा और गुरुकुल परंपरा का प्रचार-प्रसार करना है, बल्कि गौसेवा एवं आवर्धन (गायों का संवर्धन और विकास) को भी प्राथमिकता देना है
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