भारत में प्राचीन काल से ही गाय को माता का दर्जा दिया गया है और इसे ‘गौमाता’ कहकर सम्मानित किया जाता है। गाय केवल एक पशु नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति में यह पोषण, समृद्धि, और जीवन का आधार मानी जाती है। ऋग्वेद से लेकर अन्य प्राचीन धर्मग्रंथों में गाय की महत्ता का उल्लेख मिलता है। इसमें कहा गया है कि गाय में 33 कोटि देवताओं का वास होता है, और इसके दूध, घी, और अन्य उत्पादों को अमृत समान माना गया है। इसी भावना के तहत, महाराजा अग्रसेन नवभारत निर्माण ट्रस्ट ने गायों की सेवा और संवर्धन को अपने कार्यों का एक प्रमुख हिस्सा बनाया है।
ट्रस्ट की गौसेवा गतिविधियाँ
महाराजा अग्रसेन नवभारत निर्माण ट्रस्ट द्वारा संचालित गौशाला में सैकड़ों गायों की सेवा की जाती है। यहाँ गायों के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएँ की जाती हैं, जैसे कि पोषणयुक्त भोजन, चिकित्सा सेवाएँ, स्वच्छ पानी और रहने के लिए स्वच्छ स्थान। गौशाला में गायों को प्राकृतिक माहौल में रखा जाता है, ताकि वे तनावमुक्त और स्वस्थ रह सकें।
ट्रस्ट का मानना है कि गौसेवा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका सामाजिक और आर्थिक महत्त्व भी है। देसी गाय का दूध, घी, पनीर, और मावा जैसे उत्पाद उच्च गुणवत्ता वाले होते हैं और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं। ट्रस्ट इन उत्पादों का उत्पादन कर समाज में शुद्ध और स्वास्थवर्धक खाद्य सामग्री प्रदान कर रहा है।
गौशाला की विशेषताएँ
महाराजा अग्रसेन नवभारत निर्माण ट्रस्ट द्वारा संचालित गौशाला अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है। यहाँ गायों के रखरखाव और देखभाल के लिए प्रशिक्षित कर्मचारियों की एक टीम है, जो गायों के स्वास्थ्य की नियमित रूप से जाँच करती है और उनकी आवश्यकताओं का ध्यान रखती है। गौशाला में गायों के लिए पौष्टिक चारे की व्यवस्था की गई है, जिसमें हरे चारे, सूखे चारे और दाने का समावेश है। इसके साथ ही गायों को शुद्ध पानी और खुले वातावरण में घूमने की सुविधा दी जाती है, ताकि उनका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य अच्छा बना रहे।
गौशाला में गायों की देखभाल के लिए विशेष चिकित्सा सुविधाएँ भी उपलब्ध हैं। यहाँ नियमित रूप से पशु चिकित्सकों द्वारा गायों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है और आवश्यकता पड़ने पर उन्हें उचित चिकित्सा प्रदान की जाती है। ट्रस्ट का उद्देश्य न केवल गायों को स्वस्थ रखना है, बल्कि उनके जीवन को दीर्घकालिक और समृद्ध बनाना भी है।
प्राचीन काल में गुरुकुल प्रणाली एक आदर्श शिक्षण व्यवस्था थी,
गुरुकुलों में शिक्षा के पौराणिक और आधुनिक दोनों रूपों का समन्वय किया है
समाज सेवा और राष्ट्र निर्माण में योगदान
ट्रस्ट द्वारा संचालित गौशाला में सैकड़ों गायों की सेवा की जाती है।
महाराजा अग्रसेन नवभारत निर्माण ट्रस्ट का उद्देश्य केवल समाज में शिक्षा और गुरुकुल परंपरा का प्रचार-प्रसार करना है, बल्कि गौसेवा एवं आवर्धन (गायों का संवर्धन और विकास) को भी प्राथमिकता देना है
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